नए खजराना ब्रिज पर ट्रैफिक जाम

इंदौर के अफसरों को बेरिकेड से बड़ा प्रेम है। कोई वीआईपी शहर आए, कोई दल प्रदर्शन करें, तो सड़कों पर बेरिकेड सजा दिए जाते है। फिर वो जनता के लिए ‘सजा’ बन जाते हैं। अफसर तो आठ घंटे की नौकरी कर घर लौट जाते हैं और जनता घंटों तक उनकी लापरवाही के भजन गाती है। इंदौर में मंगलवार को सरकार आए। चार ब्रिजों का लोकार्पण पर भोपाल लौट गए। अफसरों ने चैन की सांस ली, लेकिन खजराना ब्रिज पर लगे बेरिकेड हटाना ही भूल गए। बुधवार को एलआईजी की तरफ जाने वाली सड़क पर दो बेरिकेड के बीच छोटी जगह वाहन चालकों को खुली चुनौती दे रही थी कि बगैर टक्कर के निकल कर बताओ जरा। जो निकल गया वो खुशकिस्मत रहा। जिसकी गाड़ी में स्क्रेच लगे, वो अफसरों को कोसता रहा। ट्रैफिक जाम में फंसे वाहनों के हार्न चीख-चीख कर वाहन मालिक के गुस्से का प्रदर्शन कर रहे थे। बेरिकेड के बीच वाहन तेजी से निकलने में नाकाम साबित होने लगे। धीरे-धीरे लंबा जाम लगने लगा। नए नवेले ब्रिज का ट्रैफिक जाम में फंसे वाहनों के कारण लोड टेस्ट हो गया। ब्रिज वजन को जनता का दर्द सहने में पास हो गया। उसे बनाने में कंसल्टेंट का दिमाग ,जनता का पैसा और मजदूरों की मेहनत लगी। मोटी तनख्वाह लेकर दौरे, निरीक्षण, बिल पास करने वाले अफसर बेरिकेड हटाना भूल गए।

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