उत्तम जलवायु एवं भौगोलिक अनुकूलता

व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र में उन दिनों होलकर स्टेट को बेहद ही उन्नत क्षेत्र माना जाता था। उत्तम जलवायु, भौगोलिक अनुकूलता, उपजाऊ भूमि और आयकर न होने की वजह से उद्योग व्यवसाय खूब पनपे। तत्कालीन व्यवसाय के युग से ही इंदौर की एक खासियत यह रही कि यहाँ पर भिन्न भिन्न वस्तुओं के लिये अलग…

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विश्व प्रसिद्ध रही कपड़ा मिलें

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ही इंदौर की कपड़ा मिलों ने राष्ट्रीय उत्पादन में खास योगदान दिया था। युद्धोपरांत कपड़ों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही थी। उधर देश में स्वदेशी आंदोलन की प्रष्ठभूमि तैयार हो रही थी। ऐसी स्थितियों में इंदौर में सन् 1916 से 1925 के मध्य एक दशक से भी कम अवधि…

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आदर्श एवं सर्वसुविध सम्पन्न शहर

होलकर राज्य की जनता के सब प्रकार के दुःख दर्दों में शामिल महाराजा यशवंतराव होलकर द्वितीय ने इंदौर को आदर्श और सर्वसुविधा संपन्न नगर बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने जानता की सभी प्रकार की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखा और वैज्ञानिक, औद्योगिक, शैक्षणिक, चिकित्सा एवं वैधानिक आदि क्षेत्रों में इंदौर शहर…

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औद्योगिक नगरी के रूप में ख्याति

इंदौर के विकास में महाराजा तुकोजीराव (द्वितीय) का नाम सम्मान से लिया जाता है। उनके शासनकाल में इंदौर शहर में कई सड़के बनी। सन् 1875 में इंदौर रेल से जुड़ा जिससे यहाँ व्यापार व्यवसाय की गतिविधियों में तेजी आई। 19 वीं सदी से ही इस नगर का औद्योगिक विकास प्रारंभ हो चुका था। इसी की…

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उद्योग जगत की हस्तियाँ आकर्षित

मालवा का प्रमुख व्यापारिक नगर होने का गौरव इंदौर शहर को पिछली एक शताब्दी से प्राप्त है। यहाँ के उद्योग व्यापार ने अंतरराष्ट्रीय जगत में ख्याति पायी है। मालवा की संपन्नता ने अनेक धनिक व्यापारियों को भी अपनी ओर आकर्षित किया। वे अपने अपने कारोबार सहित इंदौर आ बसे। इनमें कोई संदेह नहीं कि मालवा…

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पेशवाओं से जागीर में मिला इंदौर

नर्मदा घाटी के मार्ग पर व्यापार-व्यवसाय को उन्नत करने की दृष्टि से संभवतः इस स्थान का महत्व बढ़ता चला गया। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि मराठों के मालवा में आगमन के साथ, तब के इंदौर क्षेत्र का महत्व बढ़ता गया। कहीं कहीं उल्लेख मिलता है कि यहाँ से 24 किलोमीटर…

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देवी अहिल्या की नागरिक राजधानी

इंदौर के विकास के प्रति सूबेदार मल्हारराव होलकर सदैव चिंतित रहते थे। एक बार उन्होंने स्वयं कानूनगो (राजस्व अधिकारी) को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि वे बाहर के ही व्यवसायियों और साहूकारों को इंदौर आने तथा यहाँ आकर बसने के लिए प्रभावित व प्रोत्साहित करें, क्योंकि आपकी इसी योग्यता की चर्चा होती…

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इंदौर कस्बे का उत्कर्ष

इंदौर कस्बे का उत्कर्ष 17 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। एक मशहूर इतिहासकार के अनुसार राजा औरंगजेब के शासनकाल में 17 वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों के सनदों में कस्बा इंदौर का उल्लेख मिलता है। 18 वीं शताब्दी के प्रारंभ में एक प्रमुख प्रशासनिक मुख्यालय के स्वरूप में इंदौर परगने का उल्लेख भी मिलता है।…

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इंदौर का उद्भव भी रोमांचकारी

भारत के पौराणिक आध्यात्मिक नगरों की तरह इंदौर का उद्भव भी रोमांचकारी है। कहा जाता है कि राष्ट्रकूट शासक इंद्र, जिसका कि मालवा पर शासन रहा था, के नाम पर इस नगर का नाम इन्द्रपुर पड़ा जो आगे चलकर इंदूर और फिर इंदौर हो गया। एक अन्य किवंदति के अनुसार 1741 में यहाँ इंद्रेश्वर मंदिर…

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आधुनिक के साथ प्राचीन धरणाएँ भी

इंदौर को आधुनिक नगर मानकर प्राय: इतिहासकारों व पुरातत्ववेत्ताओं ने यह धारणा बना ली थी कि इंदौर का इतिहास तीन चार सौ वर्षों से अधिक पुराना नहीं है। यह प्रचलित मान्यता को खंडित करने वाली एक घटना उस समय घटित हुई जब एक मशहूर लेखक ने इंदौर के पूर्वी भाग में आजाद नगर के समीप…

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