आचार्य विनोबा भावे (इंदौर में सन् 1960)

इंदौर एक सौम्य नगरी है। सर्वोदय की दृष्टि से इंदौर की भूमि उपजाऊ है। एक बार जो आ जाए उसका यहाँ से जाने का मन नहीं करता। यहाँ की संस्कृति मैं ऊर्जा का भाव परिलक्षित होता है।

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