राजवंश के सदस्यों की स्मृतियों में तत्कालीन होलकर शासकों द्वारा निर्मित छत्रियां मराठा और मुगलकालीन स्थापत्य कला के सम्मिश्रण का बेजोड़ उदाहरण ही है। ख़ास मौकों पर यहाँ आकर्षक विद्युत सज्जा की जाती है। रोशनी के रंगों में सराबोर यह छत्रियाँ छटा बिखेरती है। कृष्णपुरा की छत्रियाँ और छत्रिबाग इसी परिप्रेक्ष्य में बनायी गई है।