सन् १०२८ से १०६० के मध्य यहाँ पराक्रमी परमार वंश के महाराजा भोज प्रथम का आधिपत्य था। लगभग उसी जमाने में नगर के खजराना ग्राम में प्राचीनतम चिंताहरण भगवान श्री गणेशजी की प्रतिमा प्रतिष्ठित हुई।अपनी मनोकामना लेकर यह दूर दूर से श्रद्धालुगण दर्शन हेतु आते है। अधिकांश विशिष्ट आयोजनों का प्रथम न्यौता गणेशजी को ही दिया जाता है