बहुसंख्यक हिंदुओं को अल्पसंख्यक मुस्लिमों का बड़े भाई की तरह ख़्याल रखना होगा। उनका विश्वास जीत कर सुरक्षा के प्रति उन्हें आश्वस्त करना होगा। इस्लाम अपने प्रारंभिक दौर में ही व्यापारियों के माध्यम से भारत पहुंच चुका था। समाज में वैमनस्य घोलने वालों को पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के तरीक़े से जवाब देना होगा। क़ाफ़िला मुहब्बत का, पारिवारिक दस्तक और स्टेट प्रेस क्लब, मप्र द्वारा होटल ला मेरियट में आयोजित पैग़ंबर का पैग़ाम, इंसानियत के नाम कार्यक्रम में उक्त बातें कही गई। मध्यप्रेदश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी की पदयात्रा व मुहब्बत की दुकान का ज़िक्र करते हुए कहा कि गीता, क़ुर्आन के साथ अन्य धर्म ग्रंथों का सार इंसानियत है, यह संदेश है कि अच्छे इंसान कैसे बनो। यही पैग़ाम हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलयहि व सल्लम) ने भी दिया। उनके मुताबिक़ सनातन धर्म में भी यही संदेश है मगर आज घृणा आधारित सांप्रदायिक राजनीति करने वालों ने इसे बदनाम कर दिया। यह देख कर दुख होता है। घृणा की राजनीति करने वालों को कठघरे में खड़ा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि नफ़रत की इस आग के ख़िलाफ़ एकजुट होना हिंदुओं की जवाबदारी है। बहुसंख्यकों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे बड़े भाई की तरह अल्पसंख्यकों का ध्यान रखें। मुसलमानों को विश्वास में लेने और उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी हमारी है। गुप्त प्रचार से समाज में नफ़रत फैलाने वालों की विशेषता है। इन्होंने पढ़े-लोगों में भी नफ़रत का ज़हर भर दिया है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को भी इन लोगों ने संकीर्ण कर दिया है। वे इतने झूठे हैं कि मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से बढ़ जाने का झूठ बोलते हैं। आंकड़ों से इसे ग़लत क़रार देते हुए उन्होंने कहा, इस पर मैं किसी भी मंच बहस के लिए तैयार हूं। रतलाम की घटना का उल्लेख करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा यह चलन हो गया है कि हिंदुओं का जुलूस निकले तो मुसलमान पत्थर फेंकेगा फिर वहां फ़साद किया जाएगा। रतलाम के एसपी ने इस षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश किया तो सरकार ने उसका ट्रांसफ़र कर दिया। वहीं मक्सी में तीन दिन गोलियां चलीं, किसी अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई। यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। विशेष अतिथि जयपुर के इस्लामिक स्कॉलर हाफ़िज़ मंज़ूर अहमद ने बताया कि अपने प्रारंभिक दौर में ही व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम भारत पहुंच चुका था। यह धर्म केरल, तमिलनाडु व गुजरात में समुद्री रास्तों से आए व्यापारियों के ज़रिये भारत की धरती तक आया और फैलता गया न कि यह तलवार के द्वारा फैला जैसा कि दुष्प्रचार किया जाता है। उन्होंने इस्लाम व मुसलमानों के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार की चर्चा करते हुए कहा कि आज जो युद्ध हिंदू-मुस्लिम शासकों की जंग कह कर प्रचारित किए जाते हैं, वे दरअसल राजाओं की लड़ाई हुआ करती थी, न कि हिंदू-मुसलमान की। अगर ऐसा होता तो बाबर व इब्राहीम लोधी के बीच जंग न होती। इसी प्रकार हिंदू राजाओं के बीच भी आपस में युद्ध होते रहते थे। पैग़ंबर साहब की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा हज़रत मुहम्मद ने दो चीज़ें ख़ासतौर से बताई हैं कि धर्म में ज़ोर ज़बर्दस्ती नहीं है तथा दूसरे के पूज्यों को बुरा मत कहो। भोपाल के विधायक आरिफ़ मसूद ने मुसलमानों से शिकायत की कि हमीं ने नबी सल्ल का रास्ता छोड़ दिया, वरना यह हालात नहीं होते । हज़रत मुहम्मद का निरादर करने वालों की बाबत उन्होंने कहा कि इस्लाम, पैग़ंबर साहब व मुसलमानों के बारे में बुरा बोल कर टीआरपी हासिल करने वालों का मक़सद अमन-शांति बनाए रखना या मुल्क की भलाई नहीं है। उनका मक़सद व मंसूबे समझिये व समझदारी से काम लेकर उन्हें नाकाम कर दीजिए। इस बाबत उन्होंने समझदार हिंदुओं की ख़ामोशी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे मुसलमान देश में ख़ुद को अकेला महसूस करने लगता है जबकि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक वह देश के लिए क़ुर्बानियां देता आ रहा है। आज के हालात में भी सब्र कर के वह क़ुर्बानी दे ही रहा है। मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने हज़रत मुहम्मद की क्षमाशीलता व सहनशीलता का वर्णन करते हुए बताया कि साथ ही साथ उन्होंने ईमानदारी, अमानतदारी व सब्र का पाठ पढ़ाया। आयोजकों की सरपरस्ती कर रहे सलीम अंसारी ने इस्लाम का परिचय देते हुए हज़रत मुहम्मद की शिक्षाओं का उल्लेख किया। शहर क़ाज़ी डॉ. इशरत अली ने वर्तमान माहौल में घोली जा रही नफ़रत पर चिंता जताते हुए मार्गदर्शन दिया कि हमें पड़ोसी क़ौम को समझाना होगा। मंच पर शेख अलीम, सलीम दस्तक, अनवर दस्तक, सलीम अंसारी, अम्मार अंसारी, नूरी खान भी मौजूद थे ।कार्यक्रम का संचालन स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल व रईस निज़ामी ने किया। आभार नूरी ख़ान ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अमन पसंद, गणमान्य एवं प्रबुद्धजन शामिल थे।
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