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हिंसा, कुशील, परिग्रह का त्याग धर्म है

धर्म एक ऐसा विज्ञान है जिसके माध्यम से मानव अपनी चेतना और मन को केंद्रित और व्यवस्थित करता है। धर्म के माध्यम से मानव अपने विक्षिप्त मन को शांत करता है और आत्मा में शांति का अनुभव करता है धर्म प्राणियों को उत्तम सुख में पहुंचाता है , दान , जप, तप, त्याग, अणुव्रत धारण करना धर्म है, पूजा उपासना करना धर्म का साधन मात्र है हिंसा, चोरी नहीं करना, झूठ नहीं बोलना आदि भी धर्म ही है, श्री दिगंबर जैन समाज सम्पत हिल स्थित जैन मंदिर में वेदी शिलान्यास समारोह मे पं. भरत शास्त्री ने अपने विचार व्यक्त किये,
मीडिया प्रभारी ज्योतिषाचार्य एम के जैन एवं पवनकुमार कासलीवाल ने बताया कि वास्तु पूजन एवं हवन विधि के साथ शिलान्यास के लिये मनोजकुमार-राजश्री जैन, स्व. नवीन-अरुणा जैन बड़वानी, विपिन-रश्मि जैन को स्वर्ण शिला तथा पं. जयसेन जैन-कुसुम जैन, रमेशकुमार , अंकित जैन, पूर्वेश जैन को रजत शिला स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, प्रारंभ मे मंगलाचरण पुलकित काला एवं राजेश बज ने किया, अनुष्ठान का संचालन विनीत जैन ने एवं आभार दीपक जैन पहाड़िया ने माना।

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