
इंदौर के बारे में एक दंत कथा के अनुसार कहा जाता है कि दो ज्योतिर्लिंगों के मध्य में बसा होने की वजह से यह नगर बधाओं से सुरक्षित रहेगा। इसके एक ओर उज्जैन में महाकालेश्वर तो दूसरी ओर ओंकारेश्वर में ओंकार महादेव विराजमान हैं। आज इंदौर का नाम राष्ट्रीय ही नहीं, अपितु अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर भी आलोकित है। इंदौर खान और सरस्वती नादियों पर बसा है, जो एक युग में शिप्रा की सहायक नदियों के रूप में जानी जाती थी। ऐतिहासिक दृष्टि से इंदौर की तुलना इंग्लैंड के वेस्टमिस्टर से की जाती है। इंदौर के विकास में मराठों और होलकारों का विशिष्ट योगदान ही झलकता है। एक विदेशी घुमक्कड़ ने तो सन् 1937 में कहा था, मैं गत 35 वर्षों से दुनिया का भ्रमण कर रहा हूँ। मुझे एशिया महाद्वीप के भारत नामक देश में स्तिथ होलकर स्टेट की राजधानी इंदौर सबसे अच्छा शहर लगा।