मालवा के सुरम्य पठार के शिखर पर बसा इंदौर शहर 22.43 डिग्री उत्तर अक्षांतर और पूर्व में 75.50 डिग्री देशांतर पर स्तिथ है। जैसे जैसे पठार मानपुर के बाद घाटी में नीचे की ओर ही बढ़ता जाता है, वैसे वैसे ही विंध्याचल और सतपुड़ा की अति सुंदर पर्वत श्रंखलाएँ बावनगजा के यहाँ गले मिलती सी लगती है। इंदौर के इर्द-गिर्द छोटी छोटी पर्वत श्रंखलाएँ वस्तुतः विंध्याचल की ही शाखाएँ हैं जो मांडवगढ़ के यहाँ विराट रूप धारण कर लेती है। जलवायु की दृष्टि से इंदौर शब-ए-मालवा के तहत आता है जहाँ का समीतोष्ण मौसम खुशनुमा ही रहा है। इंदौर शहर की उत्पत्ति जूनी इंदौर से इंदौर के आज के नए रूप में परिवर्तन, किसी शायर की कल्पना को साकार करती है कि जमाना हमसे है, हम जमाने से नहीं। संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि विश्व में इंदौर शहर की पहचान शब-ए-मालवा के रूप में है।
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