लिव इन एक कु संस्कार है, हमने तो संस्कार विहीन पीढ़ी समाज में छोड़ दी है, इसके परिणाम के बारे में सोचिए कितने भयावाह परिणाम होने वाले हैं, इससे बचने के लिए हमने अपने बच्चों को संस्कारित करना होगा। ऐसा भी दिन आएगा जब हमारे अपने सामने होंगे और एक गिलास पानी को तरसेंगे। सब शिकायत करते हैं, समाज का पतन हो रहा है। हमें स्वयं से ही शुरुआत करनी होगी, होटल हो या घर थाली में जूठन कभी नहीं छोड़ना चाहिए खान पान, आचार विचार, वेशभूषा का पतन हुआ है कपड़े फटे हुए पहने जा रहे हैं, इसे रोकना होगा, भारतीय संस्कृति में ही अनेक रिश्ते हुआ करते हैं। परदेस में तो मात्र आंटी से ही काम चल जाता है, घर के बने हुए भोजन में अमृत होता है। मां, नानी, दादी का प्यार होता है। एक दिन ऐसा आने वाला है हमें रिश्ते देखने को नहीं मिलेंगे। अब “हम एक हमारा एक ” संस्कृति पर विचार करना होगा हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि हम सिर्फ “मैं” के बारे में ही सोचते हैं जिंदगी पैसे पर आधारित हो गई है जो बच्चे महानगरों में काम कर रहे हैं वह ढंग से भोजन भी नहीं कर पाते, सो नहीं सकते उनके पास परिवार के लिए समय नहीं है। सुधार के लिए वरिष्ठों को आगे आना होगा
उक्त विचार खेल प्रशाल मे आयोजित अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा के 55 वें स्थापना दिवस एवं शपथविधि समारोह मे मुख्य अतिथि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.श्री एस के जैन ने व्यक्त किये। मीडिया प्रभारी ज्योतिषाचार्य एम के जैन ने बताया कि शाखा के वरिष्ठ एवं संस्थापक श्री जयसेन जैन, श्री सुपतप्रकाश जैन, श्रीमती कमलेश जैन एवं डॉ अनुपम जैन का शॉल श्रीफल एवं सम्मानपत्र प्रदान कर अभिनंदन किया गया, इस अवसर मनोनीत पदाधिकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जैन, मंत्री इन्द्रकुमार जैन, कोषाध्यक्ष आर डी जैन एवं समस्त कार्यकारिणी को मुख्य अतिथि द्वारा अपने पद की शपथ दिलायी गयी। अतिथियों का स्वागत रत्नेश जैन, राजीवरतन जैन, अनिल जैन, रिषभ जैन, आर के जैन, अरविन्द जैन ने किया। मंगलाचरण बेबी तनिशा एवं दर्शिता जैन ने एवं कार्यक्रम का संचालन इन्द्रकुमार जैन ने किया आभार सुधीर जैन ने माना।