
इंदौर के विकास के प्रति सूबेदार मल्हारराव होलकर सदैव चिंतित रहते थे। एक बार उन्होंने स्वयं कानूनगो (राजस्व अधिकारी) को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि वे बाहर के ही व्यवसायियों और साहूकारों को इंदौर आने तथा यहाँ आकर बसने के लिए प्रभावित व प्रोत्साहित करें, क्योंकि आपकी इसी योग्यता की चर्चा होती है। माता अहिल्याबाई को भी इंदौर इतना पसंद आया कि उन्होंने यहाँ अस्थाई मुकाम किया। उन्होंने जिला अधिकारियों को आदेश दिया कि वे कार्यालय कम्पेल से इंदौर स्थानांतरित करें और तब उन्होंने खान नदी के पार पुराने शहर के सामने नए शहर की स्थापना की। अहिल्याबाई के शासनकाल में इंदौर का विकास तेजी से हुआ। वे स्वयं महेश्वर में रहती थी लेकिन इंदौर को उन्होंने नागरिक राजधानी के रूप में चुना। आगे चलकर इंदौर को राज्य की राजधानी भी बनाया।