घनश्यामदास बिड़ला ( इंदौर में सन् 1977)

देवी अहिल्या की नगरी में आकर मुझे बेहद अच्छा लगा। परंपराओं का शहर है इंदौर। यहाँ के जनमानस में एक विशेष ऊर्जा का आभास होता है। ऊर्जावान लोग ही स्वयं और देश की तकदीर बदलने की क्षमता रखते हैं।

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