इंदौर कस्बे का उत्कर्ष 17 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। एक मशहूर इतिहासकार के अनुसार राजा औरंगजेब के शासनकाल में 17 वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों के सनदों में कस्बा इंदौर का उल्लेख मिलता है। 18 वीं शताब्दी के प्रारंभ में एक प्रमुख प्रशासनिक मुख्यालय के स्वरूप में इंदौर परगने का उल्लेख भी मिलता है। तब इंदौर, सरकार उज्जैन, सूबा मालवा का परगना था। उज्जैन में मालवा का प्रशासनिक मुख्यालय था, जो मुगलों की सल्तनत में ही था। ऐसे उल्लेख लगभग सन् 1720 के दस्तावेजों में मिलते हैं। इसके बाद सन् 1724 के दस्तावेजों के संधर्भों में परिवर्तन मिलता है और तब इंदौर को सूबा इंदौर, सरकार उज्जैन, परगना कम्पेल कहा जाने लगा। उस समय तक होलकर सत्ता का भी उत्कर्ष नहीं हुआ था। होलकर घराने के सत्ता में आते ही इंदौर शहर ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति पकड़ी।
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