-अन्ना दुराई
इंदौर संस्कृति का शहर है, परंपराओं का शहर है। जीवन आनंद को समृद्ध बनाने के लिए यहाँ विभिन्न शुभ प्रसंगों पर आयोजित होने वाले उत्सवों में अपने अलग ही अनूठे रंग देखने को मिलते हैं। सभी कि यह अभिलाषा होती है कि वे कुछ ऐसा करें कि उल्लास और उमंग के यह पल यादगार बन जाएं। वाक़ई इन्दौर ने कल रात जो देखा वह अपने आप में अकल्पनीय और अविस्मरणीय रहा। अवसर था इंदौर के प्रतिष्ठित अग्रवाल ग्रुप के प्रमुख श्री विनोद अग्रवाल एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नीना अग्रवाल के षष्टिपूर्ति समारोह का। विनोदजी के पुत्र तपन एवं वंशिका के यहाँ नए मेहमान राजवीर का पदार्पण भी खुशियों को और बढ़ा रहा था।
समारोह में हमारी पौराणिक सभ्यता के प्रतीक चारों पवित्र धामों की अनुपम एवं बेजोड़ प्रतिकृतियों को सुसज्जित किया गया था। सभी धर्म स्थानों को उनके तीर्थ स्वरूप में आकार दिया गया जो दर्शनीय एवं वंदनीय था। यहाँ उपस्थित प्रत्येक मेहमान परम् अनुभव का साक्षी बना। समारोह परिसर में प्रवेश पर एक ओर खज़राना श्री गणेशजी तो दूसरी ओर श्री सालासार बालाजी की प्रतिकृति भव्य मंदिर स्वरूप में विराजमान थी। मुख्य द्वार से अंदर जाते ही भगवान महांकाल के दर्शन और शिवलिंग पर मंत्रोच्चार के बीच जल, पुष्प अर्पित करने की व्यवस्था थी। भारतीय पौराणिक महत्व को प्रदर्शित करता शंख और उसके साथ निर्मित भव्य मंडप एक अलग ही छटा बिखेर रहा था। मंडप में प्रवेश करते ही जहाँ एक और श्री द्वारकाधीश मंदिर की प्रतिकृति थी तो दूसरी ओर श्री जगन्नाथ पुरी धाम की। सामने की ओर अलौकिक श्री बद्रीनाथ धाम की प्रतिकृति प्रतिष्ठित थी। श्री रामेश्वर धाम की प्रतिकृति भी अद्भुत थी। समारोह में सिर्फ़ भारत के विभिन्न प्रान्तों का भोजन परोसा गया। विभिन्न नृत्य नाटिकाओं के माध्यम से जीवन के अलग अलग रंग को प्रस्तुत किया गया। समारोह में प्रदर्शित ख्यात अभिनेता श्री सोनू सूद के साथ विनोदजी का साक्षात्कार जीवन मूल्यों को समझने की प्रेरणा दे रहा था।
अग्रवाल परिवार ने आध्यात्मिक एवं दार्शनिक महत्व को समझाने वाली प्रेरणादायक गाथा को जीवन उत्त्सव के रूप में बेहद ख़ूबसूरती से संजोया। समारोह का सार था, जन्म से पुर्नजन्म का संतुलन कर्मों पर तो व्यापार और परिवार का संतुलन स्वयं पर निर्भर है। मनुष्य जीवन में शांति और जागृति के लिए धर्म एवं अध्यात्म का विशेष महत्व है। उत्सव में पधारे मेहमानों ने यहाँ अपने अंतर्मन से ज्ञान रुपी प्रकाश का दीप प्रज्वलित किया। प्रसाद भी ग्रहण की। यहाँ जो आया अपने जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक उर्जा का संचार करता हुआ विदा हुआ। वाक़ई हमारे धार्मिक महत्व को प्रदर्शित करता यह अलौकिक समारोह सदैव जेहन में रहेगा।