अचल सम्पत्तियों के कारोबार में तेजी बरकरार है, बल्कि जमीनों के कई बड़े सौदे भी सुर्खियों में रहे हैं। जाने-माने गोदरेज समूह ने भी इंदौर-उज्जैन रोड पर 45 एकड़ से अधिक जमीन का बड़ा सौदा पिछले दिनों ही किया। पंजीयन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि इंदौर-उज्जैन संभाग में सबसे अधिक जमीनों की खरीद-फरोख्त इस बीते 6 महीने में हुई है और 2100 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व स्टाम्प ड्यूटी से विभाग को प्राप्त हुआ, जिसके जरिए लगभग 25 हजार करोड़ की सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त तो एक नम्बर में हुई और चूंकि 3 से 4 गुना अंतर गाइडलाइन और बाजार मूल्य में अधिकांश जगह अब भी है, जिसके चलते इन सम्पत्तियों की वास्तविक कीमत 75 हजार से लेकर 1 लाख करोड़ तक आसानी से आंकी जा सकती है। इस दौरान दोनों संभागों में 2 लाख 92 हजार से अधिक दस्तावेजों का पंजीयन भी हुआ। अभी 10 अक्टूबर को ही मुख्यमंत्री ने पंजीयन विभाग को सम्पदा पोर्टल-2.0 की सौगात भी दी है। इंदौर तो हमेशा रियल इस्टेट कारोबार का गढ़ रहा ही है और प्रदेश में सबसे अधिक कीमतें भी यहीं रहती है, जिसके चलते प्रदेशभर से जमीनों में निवेश इंदौर में होता है और कोविड के बाद तो देश के महानगरों से भी इंदौर में जमीनों में बड़ा निवेश किया गया। वहीं दूसरी तरफ महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में भी एकाएक जमीनों की मांग बढ़ी और कीमतें भी आसमान पर पहुंच गई। संयोग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह नगर भी उज्जैन है और वे लगातार उज्जैन के विकास कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं। उसका भी परिणाम है कि कई बड़ी होटलों से लेकर औद्योगिक इकाइयां शुरू हो रही है। अभी दशहरे पर भी प्रतिभा सिन्टेक्स के कारखाने का मुख्यमंत्री ने लोकार्पण भी किया। दूसरी तरफ पंजीयन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि इंदौर के अलावा उज्जैन संभाग में भी जमीनों की खरीद-फरोख्त में किस कदर बढ़ोतरी हुई है और स्टाम्प ड्यूटी के रूप में ही विभाग को 2100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्राप्त हुई है। चूंकि 10 से 12 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी गाइडलाइन मूल्य के आधार पर लगती है, जिसके चलते 25 हजार करोड़ की सम्पत्तियों की तो खरीद-फरोख्त 1 नम्बर में ही हो गई है। जबकि अभी भी इंदौर सहित अन्य जगह बाजार दर और गाइडलाइन के मूल्य में 3 से 4 गुना का अंतर है। इंदौर के अधिकांश क्षेत्रों में ही गाइडलाइन अभी भी वास्तविक कीमत से कम है। कच्ची जमीनों में तो 5 गुना से अधिक का भी अंतर कई जगह है और इसमें अधिकांश राशि दो नम्बर की ही खपती है। यही कारण है कि हर वर्ग के लोग अपनी ऊपरी कमाई से जमीनों में ही निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए 1 करोड़ की सम्पत्ति अगर खरीदी जाती है, तो 25 से 30 लाख रुपए ही 1 नम्बर में देना पड़ते हैं और शेष पूरी राशि दो नम्बर में खप जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस वित्त वर्ष के 6 महीनों में यानी अप्रैल से लेकर अभी सितम्बर तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए की सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त हो गई है, जिसमें निर्मित सम्पत्ति यानी फ्लेट, मकान, दुकान, शोरूम, दफ्तरों के अलावा आवासीय-व्यवसायिक भूखंड और कच्ची जमीनें शामिल हैं। उपमहानिरीक्षक पंजीयन इंदौर रीजन बालकृष्ण मोरे का कहना है कि 6 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी गत वर्ष की तुलना में इंदौर और उज्जैन संभाग के सभी 15 जिलों में देखी गई है और इस दौरान 2 लाख 91 हजार से अधिक दस्तावेजों का भी पंजीयन हुआ है, जिसमें सबसे अधिक दस्तावेज इंदौर में लगभग 86 हजार हुए हैं, तो आमदनी 1125 करोड़ रुपए से अधिक की रही है।
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