निरोगी काया अभियान संपूर्ण प्रदेश के साथ इंदौर जिले में 20 फरवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक चलाया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों की मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं नॉन अल्कोहॉलिक फेटी लीवर डिसिज आदि बीमारियों की विशेष स्क्रीनिंग की जाएगी। अभियान का उद्देश्य गैर संचारी रोग नियंत्रण के प्रयासों को सुदृढ़ करना, मैदानी स्तर पर समय से उपचार एवं प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या द्वारा बताया कि “निरोगी काया अभियान” का उद्देश्य समय पर व्यक्तियों की स्क्रीनिंग कर बीमारी का पता लगाने का है जिससे की समय से समुचित उपचार शुरू किया जा सके। स्वस्थ समुदाय का निर्माण हो सके। अभियान की समयावधि के दौरान सप्ताह में 5 दिन जिले के आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर स्क्रीनिंग की जाएगी। शेष व्यक्तियों की स्क्रीनिंग संबंधित क्षेत्रों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में की जाएगी। स्क्रीनिंग में मधुमेह एवं रक्तचाप पाए जाने पर कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर टेलीमेडिसन द्वारा परामर्श लेकर उनका उपचार प्रारंभ किया जाएगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सा अधिकारी द्वारा उपचार प्रारंभ किया जाएगा तथा अनियंत्रित मधुमेह एवं रक्तचाप होने पर उच्चतर स्वास्थ्य केन्द्रों में रेफर किया जाएगा। लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विषाक्त पदार्थ को हटाने, पाचन में मदद करने और शरीर की ऊर्जा को संग्रहित करने का काम करता है, इसलिए लीवर को स्वस्थ रखना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस अभियान के अंतर्गत नॉन अल्कोहॉलिक फेटी लिवर डिसिज को पहचानने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्तरों पर सी.एच.ओ. द्वारा बी.एम.आई. की गणना की जाएगी और यदि बी.एम.आई. 23 से अधिक है तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सकीय जॉच हेतु रेफर किया जाएगा और यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर फाईब्रोसिस स्कोर यदि 1.45 से अधिक है तो उसे उपचार के लिए उच्चतर स्वास्थ्य केन्द्र पर रेफर किया जाएगा। ‘निरोगी काया अभियान’ के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण हेतु परामर्श दिया जाएगा। मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं नॉन अल्कोहॉलिक फेटी लीवर डिसिज जैसी बीमारियां गैर संचारी एवं दीर्घकालिक बीमारियां हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती हैं। इनके लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और इन्हें लम्बे समय तक देख-भाल की आवश्यकता होती है। वयस्क पुरुष और महिलाएं इनसे अधिक प्रभावित होते हैं। बच्चों पर भी इनका खतरा रहता है। ये बीमारियां जीवन के महत्वपूर्ण वर्षों को प्रभावित कर सकती है और कई बार असमय मृत्यु का कारण भी बन सकती है, खास कर वृद्धावस्था में, किन्तु सही समय पर जाँच, उपचार एवं जीवनशैली में बदलाव लाकर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।