
भारत के इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम अमर है। अपनी मातृभूमि के लिए, स्वाधीनता संग्राम के लिए आपने अपना घर और आराम को छोड़ा और आजाद हिंद फौज का गठन किया। नेताजी ने एक बड़े भारतीय समुदाय को स्वाधीनता संग्राम के लिए तैयार किया। आपके पराक्रम से स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा मिली। देश के युवाओं को नेताजी के जज़्बे से सीख लेनी चाहिए और देश के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। आपने भारत सरकार के इस निर्णय की सराहना की कि हर साल ये दिवस पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। ये उद्बोधन अ.भा. कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल के हैं, जो उन्होंने नेताजी सुभाष मंच एवं गीता रामेश्वरम् पारमार्थिक न्यास द्वारा स्वाधीनता संग्राम के अमर योद्धा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 127 वी जयंती पराक्रम दिवस के अवसर पर व्यक्त किए। मंच के अध्यक्ष मदन परमालिया ने बताया कि मो. इकबाल खान मेव द्वारा लिखित ‘मेरी यादों के बिखरे मोती’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्डा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले ऐसे महापुरुष सदियों में जन्म लेते हैं। हमें अपनी वर्तमान पीढ़ी को देशभक्तों के योगदान से अवगत कराने की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अभी भी एक जीवंत प्रेरणा के रूप में भारतीयों के दिल में जीवंत राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में जीवित हैं और सदा अमर रहेंगे। विशेष अतिथि मो. इकबाल खान मेव, पूर्व पार्षद राधे बौरासी, राहुल निहोरे थे। इस दौरान अतिथियों ने पांच विभूतियों को नेताजी सुभाष अलंकरण से विभूषित किया जिनमें अनुसूचित जाति की प्रथम महिला संस्कृत में पीएचडी एवं जिले में एमए में टॉपर श्रीमती शीतल अहीरवार, समाजसेवी जीवन कनेरिया, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी उत्तराधिकारी अनिल आजाद, राष्ट्र कवि एवं गीतकार कमलेश दवे, देशभक्ति के लिए जज्बा बढ़ाने वाले बलवीर सिंह छाबड़ा को विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए शाल, श्रीफल, अभिनंदन पत्र, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
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