
भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रहे शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता के अंतर्गत मालवा प्रांत में उत्कृष्ट शोध पत्र लेखन करने वाले चुनिंदा चालीस विद्यार्थियों व शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सेज यूनिवर्सिटी इंदौर के सभागार में हुआ। इस तरह प्रतियोगिता द्वारा “भारतीय शिक्षण मंडल” भारत के युवाओं मे शोध प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना चाहता है।इसीलिए अखिल भारतीय स्तर पर विजन फॉर विकसित भारत विषय पर शोधपत्र लेखन प्रतियोगिता के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बौद्धिक योद्धाओं के निर्माण की शुरुवात हुई। इस गरिमापूर्ण समारोह में मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि श्री बी. आर. शंकरानन्द अखिल भारतीय संगठनमंत्री भारतीय शिक्षण मंडल भारतीय शिक्षण मंडल, मुख्य अतिथि डॉ. भरत शरण सिंह, अध्यक्ष, म. प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग भोपाल थे। कार्यक्रम अध्यक्षता सेज यूनिवर्सिटी के कुलगुरू डॉ. अंकुर कुलकर्णी ने की। भारतीय शिक्षण मंडल के मध्य क्षेत्र संयोजक एवं प्रांत मंत्री डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम का संचालन किया। सम्मान समारोह में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री बी. आर. शंकरानन्दजी ने कहा हम क्रांति के नहीं संक्रांति के जनक हैं। उन्होंने कुटुम्ब प्रबोधन पर जोर दिया। उन्होंने समस्त शोधार्थियों को 60 करोड़ भारतीय युवाओं का प्रेरणा स्त्रोत बताया। जीवन को देश के प्रति समर्पित करने का आह्वान किया व भारत को पुनः विश्व गुरु के पद पर पहुंचाने की बात कही।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ भरत शरन ने कहा दृष्टि सभी पास होती है लेकिन दृष्टिकोण शोधार्थी के पास होता है, जरूरी नहीं है कि प्रत्येक शोध का सकारात्मक परिणाम आये, यदि किसी शोध का नकारात्मक परिणाम आता है तो वह भी एक तरह का शोध ही है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ अंकुर कुलकर्णी ने कहा सेज यूनिवर्सिटी भारतीय शिक्षण मण्डल को सदैव सहयोग प्रदान करता रहेगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में संगठन मंत्र डॉ मनोज गुप्ता, ध्येय वाक्य डॉ संजय शर्मा द्वारा व संगठन गीत डॉ अंजली जैन द्वारा पढ़ा गया। अतिथि स्वागत डॉ लक्ष्मी कांत त्रिपाठी, श्री सुधांशु विजयवर्गीय, डॉ संजय शर्मा, दुष्यंत कुंटे श्री निखिलेश गावते, श्री संतोष महतो, प्रदीप लाखरे, डॉ मीना गुप्ता,श्री सुमित मुटरेजा, डॉ नीलू दुबे, डॉ अंजली पांडेय व डॉ पल्लवी पट्टन ने किया। आभार सेज यूनिवर्सिटी के प्रो उप कुलपति डॉ मयंक सक्सेना द्वारा किया गया।